द गर्ल इन रूम 105
आदमी नहीं था, केवल एक डरपोक भोंदू था। अभी देखो, मैं क्या कर रहा हूँ। नॉट बैड फॉर अ भोंदू, है ना? मैं इसी के लिए पिछले एक महीने से बाइसेप्स और ट्राइसेप्स बना रहा था। मुझे एक हाथ से पेड़ पर चढ़ने की प्रैक्टिस करनी पड़ी। शायद इसीलिए अभी मेरी ग्रिप इतनी मजबूत बनी हुई है। तुम भी अब ज्यादा संघर्ष नहीं कर रही हो। तुम्हारे फेफड़े इस बात को समझ गए हैं कि वे चाहे जितनी कोशिश कर लें, उन्हें अब ऑक्सीजन नहीं मिलने वाली पानी से बाहर निकाली गई मछली की तरह तुम्हारा शरीर कुछेक मर्तबा सिहरता और कांपता है और उसके बाद तुम ठंडी पड़ जाती हो। तुम्हें मछलियां खाना पसंद है ना, जारा? और दूसरे जानवर भी? मरने से पहले वो भी ऐसा ही महसूस करते हैं। इसीलिए मैं वेजिटेरियन हूं।
मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता था। तुम तो जानती ही हो कि मैं उस तरह का इंसान नहीं हूँ। मुझे तो बहस करने से ही ऐतराज है, खून-खराबा तो दूर की बात। तुम्हें याद है कैसे केशव कॉल करता था और मुझे उकसाने की कोशिश करता था। लेकिन मैं आवेश में आकर कुछ भी कर गुज़रने वाला इंसान नहीं हूं। ऐसा नहीं है कि मेरा दिमाग़ जलन और गुस्से से भरा हुआ है। गुस्से में आकर कुछ कर बैठना मूर्खों का काम है और मैं, रघु वेंकटेश, मूर्ख नहीं हूं। मैं बदसूरत हो सकता हूं, पढ़ाकू चश्मिश हो सकता हूं, काला कलूटा हो सकता हूं, मैं मेरे जैसे ही बदसूरत और भोंदू बच्चों का बाप (ये मेरे शब्द नहीं हैं) बन सकता हूं, लेकिन मैं बेवकूफ़ नहीं हो सकता। मैंने इसके लिए कई हफ़्तों तक रिसर्च और प्लानिंग की है। मेरा प्लान यह है कि पुलिस, या जो भी बेवकूफ़ तुम्हारे क़ातिल को खोजने की कोशिश करेगा, वो गोल-गोल चक्कर में ही घूमता रहेगा। ओह, और मैं जानता हूं कि ऐसा सबसे बड़ा बेवकूफ़ कौन है, जो इस केस को सुलझाने को लेकर आंबोल्ड हो जाएगा और फ्रस्टेशन में ही मर जाएगा। जारा, इसके लिए तुमको मुझ पर नाज़ होना चाहिए। मेरा तो मन कर रहा है कि तुम्हें नहीं मारू और उल्टे अपने बेहतरीन प्लान के बारे में विस्तार से बताऊं। मैं तुम्हें अपनी इंटेलीजेंस से इम्प्रेस करना चाहता हूँ, मैं तुम्हारे मुंह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहता हूं। चलो अब दो मिनट और बचे हैं।
तुमने अब हिलना बंद कर दिया है, यानी यह एक अच्छा संकेत है। जाहिर है, तुम अभी मरी नहीं होगी. केवल बेहोश हो गई होगी। मुझे नहीं मालूम, पहले क्या कारगर साबित हुआ। मैं तुम्हारे गले की नस दबा रहा है. जो तुम्हारे ब्रेन में ब्लड सप्लाई रोक देगा। साथ ही मैं तुम्हारी सांस लेने की नली भी दबा रहा हूं, ताकि तुम्हारे फेफड़ों तक ऑक्सीजन न पहुंच पाए। या शायद, यहां ये दोनों ही चीजें एक साथ काम कर रही हैं। वैसे मैंने कभी बायोलॉजी में दिलचस्पी नहीं ली और हमेशा से तकनीक ही मेरा प्रिय विषय रही है। अब केवल एक मिनट बचा
है। तुम आज रात इंटिमेट होना चाहती थी। मैंने ही मना कर दिया। अलबत्ता में यह आखरी बार ज़रूर करना चाहता था। तुम मेरी ना से हैरान रह गई थीं। देखो, मेरे पास समय नहीं है और ना ही मैं अपने पीछे कोई निशान छोड़ जाना चाहता था। बाय द वे, मैं तुमसे कभी यह सवाल पूछ नहीं पाया कि मैं उसकी तुलना में बिस्तर में कैसा था? मैं उसके जैसा गबरू जवान तो नहीं। ना मेरे पास सिक्स पैक हैं ना सिक्स फीट की बाँडी। मेरे पास तो सिक्स इंच भी नहीं है, बताने की जरूरत नहीं किस चीज़ के। उसका साइज़ क्या है? पता नहीं मैं अभी इस बारे में क्यों सोच रहा हूं। ओके, सात मिनट पूरे हो गए। बाय, जारा।
मुझे याद है मैंने कैसे अपनी ग्रिप ढीली की थी। उसके गले पर लाल रंग के गहरे निशान बन गए थे। मैंने उसकी लाश को बेड के बीच में रख दिया और टेबल लैंप जला दिया। मैं उसके रूम में 1 बजकर 50 मिनट पर आया था। मैंने समय देखा। अभी 2 बजकर 45 मिनट हो रहे थे।
इन पचपन मिनटों में मैंने जो कर दिया था, उसके लिए मैंने अपने आपको मुबारकबाद दी। मैंने उससे बातें की थीं, फिर सो जाने का दिखावा किया था और उसके बाद उसे जान से मार डाला था। और यह सब एक घंटे से भी कम समय में। मैं ना केवल स्मार्ट हूं, मैं सुपर एफिशियंट भी हूं। मैंने जो हिसाब लगाया था, उसके मुताबिक मुझे 3 बजकर 30 मिनट पर यहां से चले जाना था। लेकिन जाने से पहले मुझे कुछ और चीजें करनी थीं। सबसे पहले मैंने जारा का आईफ़ोन उठाया और टच आईडी पर
उसका अंगूठा लगाया। उसकी उंगलियां बर्फ की तरह ठंडी लग रही थीं। फ़ोन एक बार में ही खुल गया।
मैंने एक ऐसे व्यक्ति को मैसेज किया, जिसके बारे में मुझे मालूम था कि वो पालतू कुत्ते की तरह फौरन जवाब देगा। मैं केशव राजपुरोहित के साथ चैट करने लगा। उसने अपनी डीपी में अपने मोटु दोस्त के साथ एक चूतिए जैसी फोटो लगा रखी थी। मैंने उसे मैसेज भेजा-
'तो अब तुम मुझे विश भी नहीं करते ?" उसने जवाब नहीं दिया तो मैंने एक और मैसेज भेजा।